जानें कैसे करें फैटी लिवर से बचाव

हेल्थ

लिवर खून से टॉक्सिन्स बाहर निकलने में मदद करता है, ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखता है, खून के थक्के को नियंत्रित करता है और अन्य कई जरूरी कार्य करता है। ऐसे में सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि हमारा लिवर भी हेल्दी रहे, लेकिन आजकल तेजी से लाइफस्टाइल और खानपान की गलत आदतें लोगों के लिवर को बीमार बना रही है।

इन दिनों लिवर से जुड़ी कई समस्याएं काफी आम हो चुकी हैं। फैटी लिवर (Fatty Liver) इन्हीं समस्याओं में से एक है, जो कई लोगों को अपना शिकार बना रही है। ऐसे में फैटी लिवर के रिस्क फैक्टर्स और इससे बचाव के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने मणिपाल हॉस्पिटल साल्ट लेक, कोलकाता में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट की सलाहकार डॉ. सुजॉय मैत्रा से बातचीत की।

क्या कहते हैं डॉक्टर

डॉक्टर सुजॉय कहते हैं कि लिवर की बीमारियां बिना किसी साफ लक्षण के बिना पता चले विकसित होती हैं, जब तक कि बीमारी गंभीर स्टेज में नहीं पहुंच जाती। हेपेटाइटिस, लिवर सिरोसिस, फैटी लिवर डिजीज जैसी बीमारियां अब लोगों को पहले से कहीं ज्यादा प्रभावित कर रही हैं, इसलिए बार-बार लिवर की जांच कराना जरूरी है। सबसे आम लिवर रोगों में से एक फैटी लिवर डिजीज है, जो खराब जीवनशैली, गलत खानपान और एक्सरसाइज की कमी के कारण कई लोगों को प्रभावित करता है।

कब होती है फैटी एसिड की समस्या

फैटी लिवर की बीमारी तब होती है, जब लिवर में ट्राइग्लिसराइड्स या फैट का लगातार निर्माण होता है, जो आगे चलकर लिवर के टिश्यूज में सूजन और डैमेज का कारण बन सकता है। वर्तमान में लिवर डिजीज में चिंता का प्रमुख विषय नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) है, जो मुख्य रूप से अनहेल्दी लाइफस्टाइल, वजन बढ़ने या मोटापे और डायबिटीज के कारण विकसित होता है।

फैटी एसिड के रिस्क फैक्टर्स

लिवर की बीमारी से जुड़े कई जोखिम कारक हैं, जिनमें शराब का सेवन, हेपेटाइटिस बी, सी और ऑटोइम्यून डिजीज शामिल हैं। हालांकि, वजन बढ़ना या मोटापा और डायबिटीज भी नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर के प्रमुख जोखिम कारक हैं, जो वर्तमान में लिवर डिजीज का प्रमुख रूप है। वजन बढ़ने से इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है, जिसके कारण शरीर में एक्सट्रा इंसुलिन का प्रोडक्शन शुरू हो जाता है। अतिरिक्त इंसुलिन ट्राइग्लिसराइड्स या लिवर में फैट के स्टोरेज को ट्रिगर करता है। लंबे समय तक यह प्रक्रिया लिवर में सूजन और सिरोसिस का कारण बन सकती है।

क्या है सिरोसिस

सिरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिवर सेल्स डैमेज हो जाते हैं और उनकी जगह स्कार टिश्यू ले लेते हैं। सिरोसिस की मुख्य जटिलता लिवर फेलियर, हाई ब्लड प्रेशर है, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग, पेट के अंदर तरर्थ का जमा होना और लिवर कैंसर हो सकता है। इन जटिलताओं की शुरुआत के बाद लिवर ट्रांसप्लांट ही जीवित रहने की एकमात्र संभावना रह जाती है।

फैटी एसिड से ऐसे करें बचाव

लिवर एक महत्वपूर्ण अंग है जो शरीर में डिटॉक्सिफिकेशन, पाचन में सहायता के लिए पित्त का उत्पादन और मेटाबॉलिज्म के रेगुलेशन सहित कई जरूरी कार्य करता है। इसलिए लिवर से जुड़ी बीमारियों के साथ-साथ दिल से जुड़ी समस्याओं को रोकने के लिए इस अंग की देखभाल करना महत्वपूर्ण है। ऐसे में निम्न तरीकों से लिवर से स्वस्थ रखा जा सकता है-

मोटापा, डायबिटीज और खराब लिपिड जैसे मेटाबॉलिज्म संबंधी विकारों को रोकने से लिवर डिजीज के विकास के जोखिम को रोका जा सकता है।फैटी लिवर से बचने के लिए सही जीवनशैली, हेल्दी डाइट और शराब परहेज करना जरूरी है। शराब से फैटी लिवर की संभावना बढ़ जाती है। दुनियाभर में बढ़ता वजन चिंता का विषय है। ऐसे में यह ध्यान रखना होगा कि अगर बॉडी मास इंडेक्स 25 से अधिक है या अगर सेंट्रल मोटापा है, तो डाइटिंग एक्सरसाइज के जरिए वजन को औसत स्तर पर बनाए रखा जाना चाहिए।

अगर किसी व्यक्ति का डायबिटीज का इतिहास है, तो उन्हें अपना ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रखना चाहिए। अगर लिवर टेस्ट से पता चलता है कि लिवर एंजाइम में वृद्धि हुई है, जो लिवर की सूजन का संकेत है, तो डॉक्टर की सलाह से दवा शुरू करनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *