नई दिल्ली [सोनू राणा]। कृषि कानून के विरोध में बैठे आंदोलनकारियों की जिद सिंघु बार्डर व आसपास के गांवों के लोगों की जिंदगी को 100 दिन से नर्क बनाकर रखा हुआ है। आलम यह है कि किसान जहां फसलें चौपट होने से कंगाली की कगार पर पहुंच गए हैं। वहीं, कारोबार और उद्योग को भी इन दिनों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
आंदोलन की वजह से फैक्टियों में कच्चे माल की सप्लाई नहीं हो रही है। औद्योगिक इकाइयों में जो माल बन कर तैयार रखा है, वह भी उपभोक्ता तक पहुंच नहीं पा रहा है। उधर इन सौ दिनों में लाखों की संख्या में राहगीर भी परेशान हुए हैं। इसके अलावा रोज दिल्ली से हरियाणा व हरियाणा से दिल्ली नौकरी करने जाने वाले लोगों को भी परेशानी हो रही है।
किसानों ने खेतों में ही दफन कर दीं सब्जियां
कृषि कानूनों के विरोधी सिंघु बार्डर जाम करके बैठे हैं। इससे दिल्ली के किसानों की सब्जियां मंडी में नहीं पहुंच पाई। मजबूरन किसानों को सब्जियां खेतों में ही दफन करनी पड़ीं। सिंघु व सिंघोला गांव के कुछ किसानों ने बताया कि रास्ते बंद होने की वजह से वाहन खेत तक नहीं पहुंच पाते हैं। खेत तक यदि दूसरे रास्ते से वाहन लेकर जाते हैं तो वाहन स्वामी कई गुना पैसे मांगते हैं। इसका खर्च लागत से भी ज्यादा हो जाता है। इसलिए उन्होंने अपनी खड़ी गोभी की फसल को खेत में जोत दिया।
राहगीरों को हो रही परेशानी
आंदोलनरत प्रदर्शनकारियों के धरने पर बैठे होने की वजह से राहगीरों को काफी परेशानी हो रही है। उन्हें हर दिन दस से 15 किलोमीटर तक पैदल चलकर अपने दफ्तर व घर जाना पड़ रहा है। बुजुर्ग व बीमारियों से पीड़ित लोग भी दस से ज्यादा किलोमीटर तक चलने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि आटो वाले कई गुना ज्यादा पैसे मांगते हैं। इतना तो वेतन नहीं है, जितना आटो का किराया देना पड़ेगा। इसलिए वह पैदल ही आवागमन करते हैं या फिर घरों में बैठ गए हैं।