विश्व निमोनिया दिवस : 12 नवम्बर 2023 थीम निमोनिया रोकथाम के युद्ध मे विजायी हो।

उत्तर प्रदेश राज्य लखनऊ शहर

“विश्व निमोनिया दिवस को मनाने का आशय है कि हम एकजुट होकर इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट की रोकथाम, शीघ्र पहचान एवं सुलभ उपचार की दिशा में प्रयासरत हो 1 ^ prime prime -410(s10) वेद प्रका

विश्व निमोनिया दिवस 12 नवंबर, 2023 को निर्धारित किया गया है। इस दिन की स्थापना 2009 में निमोनिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गयी थी। WHO द्वारा हर वर्ष 12 नवम्बर को इसे मनाया जाता है, जिसमें निमोनिया से बचाव, रोकथाम, त्वरित इलाज के लिए डाक्टर एवं आम जनमानस को जागरूक करने के लिए पूरे विश्व में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में हमारा विभाग भी इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहा है।

निमोनिया क्या है ?

निमोनिया एक श्वसन संबंधी बीमारी है जिसमें बैक्टीरिया वायरस, फफूँदी के कारण फेफडों की “एल्वियोली” (वायु थैली) में संक्रमण होता है। एल्वियोली (वायु थैली) फेफडों का वह हिस्सा है जिसमें ऑक्सीजन और कार्बनडाई ऑक्साइड गैस का आदान-प्रदान होता है।

महत्वपूर्ण तथ्य एवं संख्याएं:

• विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्व भर में एक साल में अनुमानतः निमोनिया के 45 करोड

से अधिक लोग निमोनिया से ग्रसित होते हैं।

• बच्चे : निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, निमोनिया पांच वर्ष से कम उम्र vec Phi बच्चों में सबसे अधिक होता vec 8 * 1 निमोनिया इस आयु वर्ग के लोगों में बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। बच्चों को अपने प्रारंभिक जीवन में कई बार निमोनिया की बीमारी से ग्रसित होना पड़ता है।

• वयस्क : निमोनिया विशेष रूप से 65 वर्ष से अधिक आयु वालो को प्रभावित करता है। उम्र के साथ निमोनिया होने का खतरा बढता जाता है और बुजुर्ग व्यक्तियों में निमोनिया खास कर उन व्यक्तियों में ज्यादा गंभीर रूप से होता जो अन्य दीर्घकालिक बिमारियों से ग्रसित होते हैं।

वैश्विक बोझ :

• निमोनिया दुनिया भर में मृत्यु दर का प्रमुख कारण है, जो सालाना अनुमानित 25 लाख मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। वैश्विक बाल मृत्यु दर (पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में इसका प्रमुख योगदान हैं। • बाल मृत्यु दर : निमोनिया बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण vec 6 * 1 मुख्य रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में निमोनिया हर साल पांच साल से कम उम्र के 8 लाख से अधिक बच्चों की जान लेता है ।

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