
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में, दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में हैं। (पीटीआई फोटो / मानवेंद्र वशिष्ठ)
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में, भारत में दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 22 शहर शामिल हैं। इन 22 शहरों में से 10 शहर उत्तर प्रदेश से आते हैं।
नई दिल्ली। विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में, भारत में दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 22 शहर शामिल हैं। इन 22 शहरों में से 10 शहर उत्तर प्रदेश से आते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ दुनिया के प्रदूषित शहरों में 9 वें स्थान पर है। वहीं, देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी (Capital) में सबसे ऊपर है। हालांकि दिल्ली ने पिछले कुछ महीनों से प्रदूषण के स्तर में कुछ सुधार देखा है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता 2019 से 2020 तक 15% सुधरी है। आईक्यू एयर रिपोर्ट 2019 की तुलना में भारतीय शहरों ने 2020 की रिपोर्ट में 63 प्रतिशत सुधार किया है।
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के आंकड़ों के अर्थ
हालांकि, विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के आंकड़े उत्साहजनक हैं। फिर भी इन आंकड़ों के अनुसार, वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य और आर्थिक मूल्य चिंताजनक है। यह रिपोर्ट कोविद -19 लॉकडाउन से वायु की गुणवत्ता पर प्रभाव को भी दर्ज करती है। स्विस संगठन आईक्यू एयर द्वारा तैयार विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी का नाम दिया गया है। वास्तव में, स्विस संगठन ने मंगलवार को पीएम 2.5 पर आधारित वायु गुणवत्ता को मापने के लिए रिपोर्ट जारी की, जो एक हवाई कण है जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इसके साथ, रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित शहरों में 49 शहर बांग्लादेश, चीन, भारत और पाकिस्तान से आते हैं।
देश की राजधानी दिल्ली को विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी का नाम दिया गया है।
रैंकिंग में पाकिस्तान और भारत का स्थान कहां है
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में देशों की रैंकिंग में बांग्लादेश की स्थिति को सबसे खराब बताया गया है। इसके बाद पाकिस्तान और भारत का नंबर आता है। जबकि, वर्ल्ड कैपिटल सिटी रैंकिंग में दिल्ली सबसे ऊपर है और उसके बाद ढाका और उलानबातार है।
आप क्या जानते हैं
ग्रीनपीस इंडिया के क्लाइमेट कैंपेनर अविनाश चंचल के अनुसार, “भले ही लॉकडाउन के कारण दिल्ली सहित कई शहरों में प्रदूषण कम हो गया है, लेकिन अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रभाव भयावह है। बेहतर होगा कि सरकार स्थायी और स्वच्छ ऊर्जा को प्राथमिकता दे। ट्रैफ़िक के लिए सस्ते, चिकने और कार्बन न्यूट्रल विकल्पों को भी बढ़ावा दें। जैसे पैदल चलना, साइकिल चलाना और समावेशी सार्वजनिक यातायात को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2020 में देशों की रैंकिंग में बांग्लादेश की स्थिति को सबसे खराब बताया गया है। (पीटीआई फोटो / मानवेंद्र वशिष्ठ)
भारत में प्रदूषण अधिक क्यों है?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण के कारण परिवहन, खाना पकाने के लिए बायोमास जलाना, बिजली उत्पादन, उद्योग, निर्माण, अपशिष्ट जलाना और समय-समय पर मल जलाना है। एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली में 20 से 40 प्रतिशत वायु प्रदूषण पंजाब और हरियाणा के खेतों में मल के जलने के कारण होता है। हालांकि, वर्ष 2020 में वायु प्रदूषण में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। अब 2021 में प्रदूषण फिर से अपने खतरनाक स्तर को छूता हुआ दिखाई दे रहा है।