उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा कथाकार गौरापंत शिवानी एवं कवि अदम गोंडवी स्मृति समारोह के शुभ अवसर पर दिन बुधवार 23 अक्टूबर, 2024 को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

उत्तर प्रदेश राज्य लखनऊ शहर

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा कथाकार गौरापंत शिवानी एवं कवि अदम गोंडवी स्मृति समारोह के शुभ अवसर पर दिन बुधवार 23 अक्टूबर, 2024 को एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हिन्दी भवन के निराला सभागार लखनऊ में पूर्वाहन 11.00 बजे से किया गया।दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त वाणीवंदना डॉ० कामिनी त्रिपाठी द्वारा प्रस्तुत की गयी।सम्माननीय अतिथि- डॉo प्रकाश चन्द्र गिरि, डॉ० शिवानी पाण्डेय का स्वागत स्मृतिचिहन भेंट कर श्री आर0पी० सिंह, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।डॉ० शिवानी पाण्डेय ने कहा- रचनाकार का व्यक्तित्व् उसकी रचनाओं में परिलक्षितहोता है। रचनाकार शिवानी का घर किसी साहित्यिक केन्द्र से कम नहीं था। शिवानी कोबाल्यकाल में पढ़ने का वातावरण उन्हें परिवार से ही मिला, जिसमें उनके माता-पिता काबड़ा योगदान रहा। उनका परिवार समाज सेवा की भावना से ओत-प्रोत रहा है। शिवानीने बचपन में ही संस्कृत भाषा का अध्ययन प्ररम्भ कर दिया था। शिवानी को बंग्ला भाषा वसंगीत का काफी अच्छा ज्ञान था। शिवानी को रखीन्द्रनाथ टैगोर का काफी सानिध्य प्राप्तहुआ। शिवानी की रचना ‘कुष्णकली में नृत्यकला के ज्ञान का रुपायन मिलता है। शिवानीने विभिन्न धर्मों को आत्मसात किया। शिवानी के साहित्य में समन्वयवाद व शंवेदनशीलताके तत्व भी उपलब्ध हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने शांति निकेतन में शिवानी कोहिन्दी भाषा का प्रारम्भिक मार्गदर्शन किया। शिवानी के व्यक्तित्व पर बंकिमचन्द्र चटर्जी,अमृतलाल नागर व धर्मवीर भारती का काफी प्रभाव पड़ा।डॉ० प्रकाश चन्द्र गिरि ने कहा- अदम गोडवी जी का जन्म एक मध्यमवर्गीयकिसान परिवार में हुआ था। अदम गोंडवी ने कम लेखन करके भी कालजयी रचनाकारबन गये। उनकी रचना ‘समय से मुठभेड़ काफी चर्चित है। उनकी रचनाओं में संप्रेषणीयताके तत्व विद्यमान हैं। वे एक सिद्धुहस्त रचनाकार थे। वे छन्दबद्ध शैली में रचना करते थे।अदम गोंडवी पर आज देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध कार्य हो रहे हैं तथा पढ़ायेभी जा रहे हैं। गोंडवी जी की नज्मों में सामाजिक व्यवस्था व परिवेश के प्रति विद्रोह कीझलक दिखायी पड़ती है। अदम गोंडवी की रचनाओं में उर्दू व फारसी के शब्द बहुतायतसे मिलते हैं। वे काफी अध्ययनशील प्रवृत्ति के थे। अदम ने अपनी गज़जों में भूख औरभुखमरी जैसी ज्वलंत समस्याओं को उजागर किया है। उनकी रचनाएं सत्ता को झकझोरदेने वाली हैं। अदम जी ने समाज की दुर्दशा को देखा व अनुभव किया फिर उस परअपनी लेखनी चलाई। अदम जी का व्यक्तित्व काफी सरल था। अदम जी बाहर से जितनासरल दिखायी देते थे अन्दर से विसंगतियों के प्रति अंगार से भरे भी थे।शोद्यार्थियों / विद्यार्थियों में श्री जितेन्द्र कुमार, श्री देवेन्द्र सिंह, सुश्री सौम्या मिश्रा, श्रीराहुल कुमार द्वारा गौरापन्त शिवानी की कहानियों एवं अदम गोंडवी जी की गजलों कापाठ किया गया।डॉ0 अमिता दुबे, प्रधान सम्पादक, उoप्रo हिन्दी संस्थान द्वारा कार्यक्रम का संचालनएवं संगोष्ठी में उपस्थित समस्त साहित्यकारों, विद्वत्तजनों एवं मीडिया कर्मियों का आभारव्यक्त किया गया।

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