लखनऊ। दिनांक 21-05-2023, दिन रविवार को नवसृजन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था, लखनऊ के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार श्री त्रिवेणी प्रसाद दूबे ‘मनीष द्वारा प्रणीत तीन संस्थान, लखनऊ के निराला सभागार में सम्पन्न हुआ।
निबन्ध-संग्रह “मानव मन की सीमा रेखा”, “समाज, संस्कार और साहित्य” एवं “भारत, भारतीय संस्कृति और उसकी अनमोल धरोहर” का लोकार्पण समारोह का आयोजन स्थानीय उ. प्र. हिन्दी
समारोह के अध्यक्ष वरेण्य अतिथि उषा सिन्हा (पूर्व अध्यक्ष ) प्रो. (डॉ.) वी. जी. गोस्वामी (पूर्व अधिष्ठाता विधि विभाग. ल.वि.वि.). वरिष्ठ साहित्यकार श्री महेश चन्द्र द्विवेदी (पूर्व पुलिस महानिदेशक, उ.प्र.). प्रो. (डॉ.) भाषा विज्ञान विभाग, ल. वि. वि.), डॉ. सुल्तान शाकिर हाशमी (पूर्व दूरदर्शन केन्द्र, लखनऊ) थे। योजना आयोग, भारत सरकार) एवं श्री आत्म प्रकाश मिश्र (सहायक निदेशक
सलाहकार सदस्य माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं यशःशेष डॉ० रंगनाथ मिश्र ‘सत्य’ के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात् डॉ. योगेश के संचालन एवं अनिल किशोर शुक्ल ‘निडर’ की वाणी-वन्दना से आरम्भ इस समारोह में तेज नारायण श्रीवास्तव ‘राही’ ने मंचस्थ अतिथयों का स्वागत किया। श्री त्रिवेणी प्रसाद दूबे ‘मनीष’ द्वारा प्रणीत तीन निबन्ध-संग्रह “मानव मन की सीमा रेखा”, “समाज. संस्कार और साहित्य” एवं “भारत, भारतीय संस्कृति और उसकी अनमोल धरोहर” का लोकार्पण मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. गोपाल कृष्ण ‘मृदुल’ जी ने लोकार्पित कृति “भारत, भारतीय संस्कृति और उसकी अनमोल धरोहर” पर, डॉ. शिव मंगल सिंह ‘मंगल’ ने “समाज, संस्कार और साहित्य” पर तथा डॉ. योगेश ने “मानव मन की सीमा रेखा” पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर श्री त्रिवेणी प्रसाद दूबे ‘मनीष’ ने लोकार्पित कृतियों पर अपने विचार और अनुभव साझा करते हुए समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। समारोह में उपस्थित सभी रचनाकारों को ‘सारस्वत सम्मान’ से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह का संयोजन मंजू सक्सेना ने किया। अन्त में सहसंयोजक अनिल किशोर शुक्ल ‘निडर’ ने उपस्थित सभी अतिथियो एवं साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया।
