नई दिल्ली : भारत के साथ हालिया सैन्य टकराव में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने रक्षा बजट में 20 फीसदी की भारी बढ़ोतरी की है. यह इजाफा ऐसे समय पर हुआ है, जब देश की अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही है और सरकार ने कुल बजट खर्च में 7 फीसदी की कटौती कर दी है.
पाकिस्तान सरकार ने मंगलवार को जो बजट पेश किया, उसे देखकर सवाल उठ रहा है कि जब तमाम पाकिस्तानी बढ़ती महंगाई और आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे हैं, तो क्या शहबाज सरकार ने सेना को खुश करने के लिए जनता के मूल अधिकारों की कीमत पर सेना को खुश करने का फैसला लिया है?
शहबाज शरीफ सरकार ने मंगलवार को पेश किए गए बजट में ऐलान किया कि नए वित्त वर्ष में 2.55 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (लगभग 77 हजार करोड़ भारतीय रुपये) रक्षा मद में खर्च किए जाएंगे, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 2.12 ट्रिलियन रुपये था. खास बात यह है कि पाकिस्तान की कुल बजटीय खर्च राशि 17.57 ट्रिलियन रुपये रखी गई है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 7% क
भारत से लड़ाई के बाद फैसला
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में इस साल अप्रैल में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जबरदस्त तनाव देखने को मिला था. इस हमले में 26 भारतीय नागरिक मारे गए थे. आतंकियों के इस हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया और पाकिस्तान में आतंकियों के 9 ठिकानों को तबाह कर दिए. इससे बौखलाकर पाकिस्तानी सेना ने भारत पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया तो भी उसे मुंह की खानी पड़ी. भारतीय सेना के जवाबी हमले में पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह हो गए.
विपक्ष ने खूब किया हंगामा
भारत की उस मार का ही नतीजा था कि वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने संसद में अपने बजट भाषण के दौरान कहा कि ‘देश की सुरक्षा सर्वोपरि है.’ हालांकि संसद के भीतर विपक्ष ने उनका कड़ा विरोध किया. उन्होंने ना सिर्फ नारेबाजी की, बल्कि बजट की कॉपियां फाड़कर मंत्री की ओर फेंकीं, सीटियां बजाईं और डेस्क पीटे. विपक्ष ने सरकार पर आम लोगों की जरूरतों की अनदेखी का आरोप लगाया.
‘भारत को हराने’ के नाम पर जनता की जेब पर वार?
प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कैबिनेट मीटिंग में कहा, ‘हमने भारत को पारंपरिक युद्ध में हराया है, अब हमें अर्थव्यवस्था में भी उससे आगे निकलना है.’ लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि पाकिस्तान पहले ही आईएमएफ के कर्ज तले दबा हुआ है, महंगाई चरम पर है, और बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में ‘भारत को पछाड़ने’ की जिद में लिया गया रक्षा बजट का फैसला आम पाकिस्तानियों के लिए एक और बोझ बनकर आया है.