लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बयान को लेकर विवाद और बढ़ गया है. उन्होंने एक सैन्य अधिकारी महिला के लिए मंच से जातिसूचक टिप्पणी की थी, जिसे लेकर कई संगठनों और नागरिकों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
इस टिप्पणी को सेना के शौर्य और गरिमा का अपमान माना जा रहा है. प्रतिक्रिया में कहा गया है कि भारतीय सेना की वर्दी को कभी जातिवादी चश्मे से नहीं देखा जाता. सेना का हर सैनिक सिर्फ राष्ट्रधर्म निभाता है, न कि किसी जाति या धर्म का प्रतिनिधि होता है.
रामगोपाल यादव के बयान को लेकर विवाद बढ़ा
रामगोपाल यादव ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान महिला सैन्य अधिकारी व्योमिका सिंह की जाति का उल्लेख करते हुए उन्हें हरियाणा की जाटव बताया था और इसके बाद जातिसूचक शब्द कहा था. इस टिप्पणी को सेना के शौर्य और गरिमा का अपमान माना जा रहा है.
इस टिप्पणी को सेना के शौर्य और गरिमा का अपमान माना जा रहा है. आलोचकों का कहना है कि यह सोच तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति से प्रेरित है, जो देश की एकता को तोड़ने की कोशिश है.
बयानबाजी से सेना का अपमान किया गया
जनता इस विकृत मानसिकता का जवाब चुनावों में देगी, ऐसा विश्वास कई लोगों ने जताया है. वहीं, सोशल मीडिया पर भी रामगोपाल यादव के बयान की व्यापक आलोचना हो रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी से न केवल सेना का अपमान होता है, बल्कि समाज में गलत संदेश भी जाता है.