नई दिल्ली : ‘भारत-रूस की मित्रता सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है’. पुतिन के सामने जब राजनाथ सिंह बैठे थे, तब ठीक यही लाइन उन्होंने कही. भारत और रूस की दोस्ती पर शायद ही किसी को शक हो. अमेरिका भी उतना ही यकीन करता है, जितना हम भारतीय. तभी तो यूक्रेन जंग में पुतिन को समझाने के लिए अमेरिका ने भारत से गुहार लगाई थी. कहा था कि पुतिन आपके अच्छे दोस्त हैं, आप ही युद्ध खत्म करने के लिए समझाइए. भारत जैसे अपने दोस्त का मुसीबत में भी साथ नहीं छोड़ता, वैसा ही रूस भी है. रूस भी अपने दोस्तों का साथ किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ता. हाल में पुतिन ने इसका सबूत सीरिया में दिखाया है.
सबसे पहले जानते हैं कि राजनाथ सिंह ने क्या कहा? राजनाथ सिंह अभी मॉस्कों में हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को मॉस्को में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत-रूस की मित्रता सबसे ऊंचे पर्वत से भी ऊंची और सबसे गहरे महासागर से भी गहरी है. दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी में अपार संभावनाएं हैं और मिलकर किए जाने वाले प्रयास उल्लेखनीय परिणामों का मार्ग प्रशस्त करेंगे. राजनाथ सिंह ने पुतिन से कहा कि भारत अपने रूसी मित्रों के साथ हमेशा खड़ा रहा है और वह भविष्य में भी ऐसा करता रहेगा.
भारत-रूस ने समय-समय पर दिया है एक-दूसरे का साथ
भारत और रूस ने हमेशा से एक-दूसरे की मदद की है. चाहे वह 1971 का युद्ध हो या यूएन में स्थायी सदस्यता का दावा. रूस ने हमेशा से भारत की मदद की है. ठीक उसी तरह भारत ने भी कदम-कदम पर अपने दोस्त रूस की मदद की है. रूस-यूक्रेन जंग हो या यूक्रेन शांति समिट, हमेशा से रूस का भारत ने पक्ष लिया है. जब तेल को लेकर अमेरिका ने भारत पर दवाब बनाया तब भी भारत नहीं झुका और अपने दोस्त रूस का साथ देता रहा. यही वजह है कि दुनिया भी यह बात जानती है कि चाहे कुछ भी हो जाए, भारत-रूस अपनी दोस्ती पर आंच नहीं आने देते हैं. अब पुतिन ने अपनी दोस्ती का एक और ताजा उदाहरण सीरिया में दिखाया है.
पुतिन ने सीरिया में दिखाया दोस्ती का सबूत
दरअसल, सीरिया में बशर-अल असद की सरकार गिर गई. उन्होंने विद्रोहियों ने देश छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया. असद के ऊपर मुसीबत का पहाड़ था. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह जान बचाने के लिए आखिर कहां जाए. तब रूस ही वह देश था, जिसने अपने दोस्त असद को सीरिया से सुरक्षित बाहर निकलवाया और अपने यहां सुरक्षित शरण दी. पुतिन और असद अच्छे दोस्त रहे हैं. जब असद की सरकार गिरी तो पुतिन ने दोस्ती निभाई और अपने दोस्त के लिए हिमालय की तरह खड़े रहे. सीरिया में 8 दिसंबर को विद्रोहियों ने तख्तापलट कर दिया, जिसकी वजह से असद फैमिली के 50 साल के शासन का अंत हो गया.