नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को 14वें दिन संविधान पर चर्चा हुई. केरल के वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में केंद्र की एनडीए सरकार को घेरा. उन्होंने कहा, आज के राजा आलोचनाओं से डरते हैं. विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया जाता है. उन्हें सताया जाता है. पूरे देश का माहौल भय से भर दिया है.
उन्होंने कहा, मैं याद दिलाना चाहती हूं कि ऐसा डर का माहौल देश में अंग्रेजों के राज में था. जब इस तरफ बैठे हुए गांधी के विचारधारा के लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, तब उस विचारधारा के लोग अंग्रेजों के साथ सांठ-गांठ कर रहे थे. लेकिन भय का भी अपना स्वभाव होता है. भय फैलाने वाले खुद भय का शिकार बन जाते हैं. आज इनकी भी यही हालत हो गई है. भय फैलाने के इतने आदी हो गए हैं कि चर्चा से डरते हैं. आलोचनाओं से डरते हैं.
‘प्रधानमंत्री सिर्फ 10 मिनट के लिए दिखे’
उन्होंने कहा कि राजा भेष बदलकर आलोचना सुनने जाता था. लेकिन आज का राजा भेष तो बदलते हैं, शौक तो है उनको भेष बदलने का, लेकिन न जनता के बीच जाने की हिम्मत है और न आलोचना सुनने की. मैं तो सदन में नई हूं. सिर्फ 15 दिन से आ रही हूं. लेकिन मुझे ताज्जुब होता है कि इतने बड़े-बड़े मुद्दे हैं, प्रधानमंत्री जी सिर्फ एक दिन के लिए 10 मिनट दिखे हैं. बात ये है कि ये देश भय से नहीं, साहस और संघर्ष से बना है. इसको बनाने वाले देश के किसान, जवान, करोड़ों मजदूर और गरीब जनता है. संविधान इनको साहस देता है. मेहनती मिडिल क्लास है. इस देश के करोड़ों देशवासी हैं, जो रोजाना भयंकर परिस्थितियों का सामना करते हैं, उनको साहस देता है.
‘ये देश उठेगा और लड़ेगा…’
प्रियंका ने कहा, संविधान ने साहस और आत्मविश्वास दिया है. ये देश भय से नहीं चलता है. भय की भी सीमा होती है और जब वो पार हो जाती है तो उसमें एक ऐसी शक्ति पैदा होती है, जिसके सामने कोई कायर नहीं खड़ा हो सकता. देश ज्यादा देर तक कायरों के हाथ में नहीं रहा है. ये देश उठेगा, लड़ेगा, सत्य मांगेगा. सत्यमेव जयते.
‘इनके यहां वॉशिंग मशीन है’
प्रियंका गांधी ने कहा, सरकारों को पैसे के बल पर गिरा देते हैं. सत्तापक्ष के हमारे साथी ने उदाहरण दिया यूपी सरकार का. मैं भी उदाहरण दे देती हूं महाराष्ट्र की सरकार का. गोवा की सरकार. हिमाचल की सरकार. क्या ये सरकारें जनता ने नहीं चुनी थीं. पूरे देश की जनता जानती है कि इनके यहां तो वाशिंग मशीन है. जो यहां से वहां जाता है, वो धुल जाता है. इस तरफ दाग, उस तरफ स्वच्छता. मेरे कई ऐसे साथी हैं, जो इस तरफ होते थे, उस तरफ चले गए, मुझे दिख भी रहे हैं कि वॉशिंग मशीन में धुल गए हैं. जहां भाईचारा और अपनापन होता था, वहां शक और घृणा के बीज बोए जा रहे हैं. एकता का सुरक्षा कवच तोड़ा जा रहा है.
‘संविधान ने हमें एकता दी है…’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी यहां सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं, लेकिन संभल में, मणिपुर में न्याय की गुहार उठती है तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती. शायद समझ नहीं पाए हैं कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है. भारत के संविधान ने हमें एकता दी है. हमें आपसी प्रेम दिया. उस मोहब्बत की दुकान जिस पर आपको हंसी आती है, उसके साथ करोड़ों देशवासी चले.
‘जनता को सच बोलने से डराया जाता है’
उन्होंने कहा कि इनकी जो विभाजनकारी नीतियां हैं, उसका नतीजा हम रोज देखते हैं. राजनीतिक फायदे के लिए संविधान को छोड़िए, देश की एकता की भी सुरक्षा नहीं कर सकते. संभल में देखा, मणिपुर में देखा. दरअसल, इनका कहना है कि अलग-अलग इस देश के अलग-अलग हिस्से हैं. हमारा संविधान कहता है कि ये देश एक है और एक रहेगा.
‘सरकार अडानीजी के मुनाफे पर चल रही है’
प्रियंका ने कहा, अडानी जी को सारे कोल्ड स्टोरेज आपकी सरकार ने दिए. देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए 142 करोड़ देश की जनता को नकारा जा रहा है. सारे बिजनेस, सारे संसाधन, सारी दौलत, सारे मौके, एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं. सारे बंदरगाह, एयरपोर्ट, सड़कें, रेलवे का काम, कारखाने, खदानें, सरकारी कंपनियां सिर्फ एक व्यक्ति को दी जा रही हैं. जनता को भरोसा था कि अगर कुछ नहीं है तो संविधान हमारी रक्षा करेगा. मगर आज सरकार सिर्फ अडानीजी के मुनाफे पर चल रही है. जो गरीब है वो और गरीब हो रहा है. जो अमीर है, वो और अमीर हो रहा है.
‘आपने क्या किया, वो बताइए’
प्रियंका गांधी ने कहा कि आज हमारे साथी ज्यादातर अतीत की बात करते हैं. अतीत में क्या हुआ. नेहरू जी ने क्या किया. अरे वर्तमान की बात करिए. देश को बताइए. आप क्या कर रहे हैं. आपकी जिम्मेदारी क्या है. सारी जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू की है. ये सरकार आर्थिक न्याय का सुरक्षा कवच तोड़ रही है. आज संसद में बैठी सरकार बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रही जनता को क्या राहत दे रही है. कृषि कानून भी उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं. वायनाड से लेकर ललितपुर तक इस देश का किसान रो रहा है. आपदा आती है तो कोई राहत नहीं मिलती. भगवान भरोसे है आज इस देश का किसान. जितने भी कानून बने हैं, वो बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं. हिमाचल में सेब के किसान रो रहे हैं, क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सब बदल रहा है.