आज दोपहर 3:30PM पुरुषार्थ सेवा ट्रस्ट व पति परिवार कल्याण समिति द्वारा विवाह संस्था को बर्बाद करने वाले “वैवाहिक बलात्कार” कानून बनने का विरोध किया गया। इस कार्यक्रम में
16 जनवरी 2023 को मैरिटल रेप केस की सुनवाई करने वाले तीन में से दो जज, वो तो पहले ही अपना महिलावादी प्रेम और पुरुष विरोधी मानसिकता से ग्रस्त निर्णय और विचार समाज पर थोप चुके हैं। एक तो बिना कानून बने ही पति को बलात्कारी बताकर सजा सुना चुके हैं और दूसरे तो भारत के मुख्य न्यायधीश हैं और पद ग्रहण करने से पहले ही नारीवादी सोच रखने और संविधान को महिलावादी घोषित कर रखा है। ऐसी पक्षपाती मानसिकता और संविधान विरुद्ध कार्यशैली वाले जजों की पीठ से न्याय की उम्मीद किसी कीमत पर नहीं की जा सकती.
बेहतर तो यही होता कि इन जर्जी को मैरिटल रेप जैसे संवेदनशील और पारिवारिक संस्था को नष्ट करने वाले मामले से खुद को अलग कर लेना चाहिए था।
लेकिन विगत वर्षों में न्यायपालिका में ऐसी सुचिता और आदर्श दिखाई नहीं देती, यदा कदा ही अपवाद हो जाए तो अलग बात है। आप सभी भूले नहीं होंगे कि, सुप्रीम कोर्ट के 4 शीर्ष जर्जी ने प्रेस कांफ्रेंस करके ये बात मीडिया के द्वारा पूरे विश्व जगत को बताई भी थी।
आज फिर देश की जनता के लिए वक्त आ गया है कि, असंवैधानिक लिंगभेदी कानून के द्वारा परिवारों को तोड़ने और पुरुषों को बर्बाद करने के कुचक्र को तोड़ने के लिए खुलकर सामने आएं और अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों का जीवन बचाएं|
