मत्स्य विभाग,उ.प्र. द्वारा प्रदेश में मत्स्य विकास पर कार्यशाला का आयोजन मत्स्य चेतनाकेन्द्र, मत्स्य निदेशालय, उ.प्र. में दिनांक 26-10-2024 को आयोजित किया गया। कार्यशाला काआयोजन मा. कैबिनेट मंत्री मत्स्य विभाग,उ. प्र. सरकार डॉ. संजय कुमार निषाद के मुख्य आतिथ्य मेंकिया गया जिसमें उ. प्र. मत्स्य विकास निगम लि. के अध्यक्ष मा.रमाकान्त निषाद, उ.प्र. मत्स्य जीवीसहकारी संघ लि. के सभापति मा . वीरू निषाद एवं प्रमुख सचिव मत्स्य श्री के . रविन्द्र नायकविशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन महानिदेशक मत्स्य राजेश प्र काश एवंनिदेशक मत्स्य एन.एस रहमानी के नेतृत्व में किया गया।कार्यशाला में डॉ बी.के. दास निदेशक केन्द्रीय अन्तरस्थलीय मात्यिकी शोध संस्थान (CIFRI)एवं राष्ट्रीय मात्त्यिकी विकास बोर्ड वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक डॉ एलएन मूर्ति द्वारा ऑनलाइनप्रतिभाग किया गया ।कार्यशाला मेंएन.बी.एफ.जी. आर. के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एस के. सिंह,बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ इकबाल खां सहित प्रदेश के विभिन्न अंचलों के मात्स्यकीक्षेत्र से जुड़े मत्स्य पालक जलाशयों के अनुज्ञापी (ठिकेदार) तथा विभागीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थि तरहे। कार्यशाला में प्रदेश में उपलब्ध जल संसाधनों में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि लाये जाने हेतु विविधआयामों पर व्यापक तकनीकी एवं वैज्ञानिक परिचर्चा की गयी।कार्यशाला में विशेषकर जलाशयों से अधिकतम मत्स्य उत्पादन प्राप्त करने हेतु केज कल्वरतकनीक का उप योग करते हुए मत्स्य उत्पादन प्राप्त किये जाने एवं जलाशयों में मत्स्य उत्पादन केवृद्धि के सम्वन्ध में व्यापक रूप से डॉ बी के. दास निदेशक केिन्द्रीय अन्तरस्थलीय मात्स्यिकी शोधसंस्थान(CIFRI) द्वारा जलाशयों में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेत् केज कल्चर तकनीकको बढ़ावा देते हुए गुणवत्ता युक्त अंगुलिका संचय हेतु जानकारी प्रदान की गई तथा इससे होने वालेलाभ के बारे विस्तृत रूप से बताया गया।डॉ एल.एन. मूर्ति वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक राष्ट्रीय मात्यिकी विकास बोर्ड द्वारा केज हेतुभारत सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही वित्तीय सहायता के रूप में बताया गया। डॉ एल.एन.मूर्ति द्वारा प्रदेश में बीज बैंक या ब्रूड बैंक हेत् यदि को योजना बनाई जाती है तो उस पर भारतसरकार व एन एफ डी बी द्वारपूर्ण रूप से सहयोग देने का आश्वासन दिया गया।मोहन सिंह राजपूत द्वारा सजावटी मद्ली उत्पादन की आर्थिकी एवं उससे प्राप्त होने वालेलाभ के वारे में विस्तृत जानकारी दी गई।डॉ एस.के. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हेतु उच्तित मात्रा में गुणवत्तायुक्त मत्स्य अंगुलिका का संचय कराते हुए मत्स्य उत्पादन के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है।प्रदेश की वन ट्रिलिऑन डालर ईकोनामी के मत्स्य सेक्टर के लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जासकता है। डॉ इकबाल खां प्रोफेसर बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा विस्तृत रूप से व्याखान देते हुएउपस्थित मत्स्य पालकों एवं ठेकेदारों को इन नवीन तकनीक के अनुसार मत्स्य पालन करने हेतुप्रोत्साहित किया गया।निदेशक मत्स्य द्वारा आयोजित कार्यक्रम के सम्बन्ध में संक्षिप्त रूप से इसके उद्वेश्य एवंविभागीय संचालित कार्यक्रमों एवं उपलब्धियों के बारे में बताया गया । निदेशक मत्स्य द्वाराPMMSY योजना के अंतर्गत एक व्यक्तिगत मत्स्य पालक को 18 केज तथा cooperativesocieties/SHGs/JLGs आदि के लिए प्रति सदस्य 06 केज व अधिकतम 72 केज का प्रावधान है।प्रति केज इकाई लागत रु 3.00 लाख प्रावधानित है,जिसमें लाभार्थी को सामान्य होने पर 40प्रतिशत तथा महिला व् अनुसूचित जाति का होने पर 60 प्रतिशत अनुदान की अनुमन्यता होती है।विभागीय योजनाओं यथा नीली क्रांति व राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत कुल 360केजों की स्थापना झांसी, ललितपुर, महोबवा, बांदा, मिर्जापुर, सोनभद्र एवं चन्दौली जनपदों में वर्ष2013-14 से वर्ष 2021-22 तक की गयी है। केज मे मत्स्य उत्पादकता के दुष्टिगत प्रधानमंत्री मत्स्यसम्पदा योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 202021 से 2023-24 तक कुल 1131 केज कल्चर की स्थापना हेतुलक्ष्य निर्धारित किया गया जिसके सापेक्ष 682 केज स्थापित कर लिए गये है।महानिदेशक मत्स्य द्वारा बताया गया कि प्रदेश में मत्स्य विकास की आपार सम्भावनाएं है।उपलब्ध जल संसाधनों का वैज्ञानिक एवं तकनीकी दृष्टि से समुचित उपयोग करते हुए प्रदेश कोमत्स्य उत्पादन में अग्रणी बनाया जा सकता है ।यह कार्यशाला प्रदेश के मत्स्य पालकों एकवं उद्यमियोंके लिए वहुत उपयोगी होगी।प्रमुख सचिव मत्स्य द्वारा अपने उदबोधन में कहा गया कि इस तरह की कार्यशाला विषयविशेष पर आयोजित कराया जायेगा जिसके माध्यम से मत्स्य पालकों को मत्स्य उद्यमियों तथाजलाशय के ठेकेदारों को प्रेरित करते हाए प्रदेश के मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हेतु कार्यवाही की जायेगी।इससे रोजगार के साधन उपलब्ध होने के साथ-साथ लक्षित वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी में मत्स्यसेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।उपस्थित मत्स्य पालकों एवं ठेकेदारों से मत्स्य उत्पादन में वृद्धिलाए जाने के संबंध में सुझाव भी मांगे गये। अधिक से अधिक केज लगाए जाने के संबंध में प्रमुखसचिव मत्स्य द्वारा भारत सरकार से धनराशि की मांग की बात कही और यह भी कहा कि जलाशयके ठेकेदार आर्थिक रूप से सम्पन्न होते है वह स्वयं के संसाधन से भी जलाशयों में केज स्थापितकराएउ.प्र. मत्स्य विकास निगम लि. के अध्यक्ष मा.रमाकान्त निषाद द्वारा मत्स्य उत्पादन में वृद्धिहेतु उच्ित मात्रा में गुणवत्ता युक्त मत्स्य अंगुलिका का संचय कराते हुए मत्स्य उत्पादन के लक्ष्यों कोप्राप्त किया जा सकता है। इस हेतु मत्स्य विकास निगम लिमिटेड द्वारा सतत रूप से कार्य किया जारहा है। उ. प्र. मत्स्य जीवी सहकारी संघ लि. के सभापति मा. वीरू निषाद द्वारा मत्स्य पालन कोरोजगार के दृष्टि से किये जाने हेत् बल देते हुए सुझाव दिया कि बिना अन्दान प्राप्त किये लोगों द्वारामत्स्य पालन के क्षेत्र में अच्छा कार्य किया जा रहा है साथ ही जलाशय के ठेकेदारों को यह भी सलाहदिया गया कि जलाशय की क्षमता के अनुरूप ही ठेका लिया जाए ताकि अनवरत रूप से चलता रहे।मा. मंत्री मत्स्य जी द्वारा अपने सम्बोधन में बताया गया कि पालन तकनीक एवं नदियों वजलाशयों में मत्स्य अंगुलिका का संचय, मत्स्य आखेट प्रबंधन की जानकारी, जलक्षेत्रों के दोहन नाकरने व जल क्षेत्र की सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता) वनाते हुए अधिक से अधिक मत्स्य उत्पादन के साथ-साथ देशीय मत्स्य प्रजातियों का संरक्षण व संवर्धन हेतु आयोजित की गई है। प्रदेश में उपलब्ध कुलजलक्षेत्रों से वर्ष 2023-24 मे उत्तर प्रदेश का कुल मत्स्य उत्पादन 11.60 लाख मी0 टन एवं मत्स्यउत्पादकता 5539.00 किग्राo/ हे0/वर्ष प्राप्त हुआ।प्रदेश में गंगा, यमुना, चम्बल, बेतवा, गोमती, घाघरा एवं राप्ती सहित कई सदाबाही नदियोंबहती हैं, जिनके दोनों किनारे एवं आसपास मछुआ समुदाय की घनी आबादी निवास करती है, जोआजीविका हैतु मुख्यतः मत्स्य पालन, मत्स्याखेट एवं मत्स्य विपणन कार्यों पर निर्भर है। इन्हेरोजगार उपलब्ध कराने एवं उनके आर्थिक उन्नयन हेतु अभियान चलाकर मत्स्य जीवी सहकारीसमितियों के गठन की कार्यवाही की जा रही है जिसके अन्तर्गत 565 समितियों के गठन का लक्ष्यनिर्धारित करते हुए कार्यवाही की जा रही है।केज कल्चर मछली के गहन उत्पादन के लिए एक उभरती हुई तकनीक है।जलाशयों में स्थापित केजों मे पंगेशियस और गिफ्ट तिलपिया का पालन करते हुए उत्पादकता मेंवृद्धि की जा सकती है।विभाग द्वारा निःशुल्क मछुआ दुर्घटना बीमा योजना से आच्छादित करने हेतु मछुआ दुर्घटनाबीमा योजना के माध्यम से वर्ष 2024-25 में कुल लक्षित 1,50,000 मत्स्य पालकों का आच्छादनकराये जाने हेतु कार्यवाही करायी गयी है।उपस्थित मत्स्य पालकों से सुझाव मांगे गये तदान्सार उत्पादन के बढ़ावा हेत् कार्ययोजना तैयारकराई जा सके। NFDB की भांति प्रदेश में राज्य स्तरीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड की स्थापना हेतुप्रयास किया जा रहा है। निजी हैचरियों को मत्स्य विकास निगम की हैचरियों के समान सुविधा दीजाये।केज कल्चर के साथ साथ पेन कल्चर तथा जिंदा मछ्ली विक्रय केंद्र को प्रोसाहित करते हुएउत्पादन के साथ साथ मूल्य वर्धन के माध्यम से आय में वृद्धि लायी जाय।अन्त में प्रबन्ध निदेशक, उ.प्र. मत्स्य जीवी सहकारी संघ लि. लखनऊ द्वारा उपस्थितअतिथियों एवं मत्स्य पालकों तथा जलाशय के ठेकेदारों का धन्यवाद व्यक्त करते हुाए कार्यशाला केसमापन की घोषणा की गयी।
