हिमाचल में जेपी नड्डा की प्रतिष्ठा दांव पर, दोबारा सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत झोंकेगी भाजपा

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नई दिल्ली/ शिमला । हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान इसी सप्ताह होने की संभावना है और इस बीच ‘सरकार नहीं रिवाज बदलो’ के नारे के साथ ‘मिशन रिपीट’ में जुटी भाजपा ने भी अब नए सिरे से अपनी रणनीति को जमीनी धरातल पर उतारने का फैसला कर लिया है। आला नेताओं के लगातार राज्य के दौरे के दौरान मिले फीडबैक के बाद कई विधानसभा सीटों पर भाजपा ने अपनी रणनीति को बदलने का फैसला किया है। हिमाचल प्रदेश भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है और इस पहाड़ी राज्य में सीधे-सीधे भाजपा आलाकमान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। इसलिए नड्डा लगातार हिमाचल प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। एक ओर जहां जनता को कांग्रेस राज के बुरे दौर और भाजपा सरकार के विकास के कामों की जानकारी देने के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की बात कहते हुए राज्य के मतदाताओं से इस बार सरकार नहीं रिवाज बदलने की अपील कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी में टिकट बंटवारे के बाद मचे घमासान की आशंका को भांपते हुए पहले से ही उन्होंने कार्यकर्ताओं और नेताओं से खासतौर से जयराम ठाकुर सरकार के मंत्रियों और वर्तमान विधायकों से यह कहना शुरू कर दिया है कि टिकट लेने के लिए उनके पीछे घूमने से बेहतर है कि क्षेत्र में लोगों के बीच जाए।

इतना ही नहीं, नड्डा पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक में भी यह सख्त हिदायत देते नजर आ रहे हैं कि टिकट चाहे जिसे मिले, सबको मिलकर कमल (चुनाव चिन्ह) को विजयी बनाने के लिए काम करना चाहिए।

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 68 सीटों पर हुए चुनाव में 48.79 प्रतिशत मतों के साथ भाजपा को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि 41.68 प्रतिशत मतों के साथ कांग्रेस के खाते में 21 सीटें आई थीं। पिछली बार जिन 44 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी, उनमें से 20 से ज्यादा विधायकों को लेकर मिले फीडबैक ने भाजपा आलाकमान को चिंतित कर दिया है और इसमें राज्य सरकार के कई मंत्रियों की सीट भी शामिल है।

बताया जा रहा है कि इस फीडबैक के बाद पार्टी ने इन सीटों को लेकर तमाम विकल्पों पर विचार करना शुरू कर दिया है।

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