श्रीनगर : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने रविवार को कहा कि उन्हें वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए राजनीतिक दलों की क्षमता को लेकर गंभीर आपत्ति है. उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में नागरिक समाज (Civil Societies) की महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने अपने संबोधन के दौरान सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के संकेत भी दिए. गुलाम नबी आजाद ने कहा, ”अब अक्सर मेरा मन राजनीति से संन्यास लेकर समाज सेवा में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होने का करता है.”
जम्मू में एक कार्यक्रम के दौरान नागरिक समाज के सदस्यों को संबोधित करते हुए, आजाद ने कहा, ”हमको समाज में एक बदलाव लाना है. कभी कभी मैं सोचता हूं, और यह कोई बड़ी बात नहीं होगी कि अचानक आप लोगों को पता चले, मैं पॉलिटिक्स से रिटायर हो गया और समाज सेवा के कार्य में जुट गया.” इस कार्यक्रम का आयोजन जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता एमके भारद्वाज ने किया था.
आजाद ने खुद को समाजसेवा में समर्पित करने की बात कही
अपने 35 मिनट के संबोधन की शुरुआत में ही आजाद ने स्पष्ट कर दिया कि वह कोई राजनीतिक भाषण नहीं देंगे. उन्होंने कहा, “भारत में राजनीति इतनी बदसूरत हो गई है कि कभी-कभी किसी को संदेह करना पड़ता है कि हम इंसान भी हैं या नहीं.” उन्होंने कहा, “हम सब अगर एक शहर को, एक प्रांत को ठीक करेंगे, तो पूरा हिंदुस्तान ठीक होगा. मैं अपने आप को अपनी व्यक्तिगत क्षमता में…एक इंसान की क्षमता में…उस असली काम के लिए, सेवा के लिए, इंसान के लिए, समर्पित करता हूं. जब भी आप चाहेंगे, मेरे को आप अपने साथ देखेंगे.”
देश के सभी राजनीतिक दल लोगों को बांटने का काम करते हैं
गुलाम नबी आजाद ने कहा, ”राजनीतिक दल धर्म, जाति और अन्य चीजों के आधार पर (लोगों के बीच) 24×7 विभाजन पैदा करते हैं. मैं अपनी (कांग्रेस) सहित किसी भी पार्टी को माफ नहीं कर रहा हूं. नागरिक समाज को एक साथ रहना चाहिए. जाति, धर्म को देखे बगैर सभी को न्याय दिया जाना चाहिए. महात्मा गांधी सबसे बड़े हिंदू और धर्मनिरपेक्ष थे. जम्मू-कश्मीर में जो हुआ उसके लिए पाकिस्तान और उग्रवाद जिम्मेदार हैं. इसने जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं, कश्मीरी पंडितों, मुसलमानों, डोगराओं सहित सभी को प्रभावित किया है.”