राज्य संग्रहालय लखनऊ एवं उ०प राज्य पुरातत्व निदेशालय, लखनऊ द्वारा दिनाक 15 से 23 फरवरी, 2024 तक “पुरालेख एवं पुरालिपि कार्यशाला का आयोजन” किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश राज्य लखनऊ शहर

राज्य संग्रहालय लखनऊ एवं उ०प राज्य पुरातत्व निदेशालय, लखनऊ द्वारा दिनाक 15 से 23 फरवरी, 2024 तक “पुरालेख एवं पुरालिपि कार्यशाला का आयोजन” किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत आज दिनाक 23 फरयरी, 2024 को कार्याशाला के अन्तिम दिवस डॉ० जी०एस० ख्वाजा, सेपानिवृत्त निदेशक (पुरालेख) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नागपुर ने मध्यकालीन सिक्कों क बारे में सविक्र व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मुदाओं से तत्कालीन, सामाजिक एवं आर्थिक इतिहास के बारे में पता चलता है। गुप्तकालीन राजाओं ने वेहद सुन्दर सोने के सिक्के जारी किये, सिक्कों के अग्रभाग में देवी- देवताओ का तथा पृष्टभाग में राजा के नाम का अकन किया जाता था। मोहम्मद गौरी ने अपने सिव्के में देवी लक्ष्मी का एवं संस्कृत भाषा में अपने नाम का अकन कराया। विश्व के सबसे सुन्दर सिव्कों में मुगलकालीन अकबर एवं जहागीर के काल के सिक्के है। जिसमे12 राशियो के चिन्हो का अकन किया गया है। उक्त कार्यकम के समापन समारोह में निदेशक, उ०पo संग्रहालय

निदेशालय लखनऊ ने तुलसी का पीधा देकर मुख्य अतिथि श्री राकेश चन्द्र शर्मा विशेष सचिय संस्कृति विभाग, उ0प० का स्थागत किया । मुख्य अतिथि द्वारा 49 प्रतिभागियों को प्रमाण- पत्र दितरित करने के साथ उनके उज्जवल भविध्य के लिए कामना की। मुख्य सथिय ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाओ का अधिक से अधिक प्रथार- प्रसार किया जाना चाहिए तथा कार्यशाला की समयावधि बढ़ा दी जाए । कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने उक्त कार्यशाला में अपने अनुभय व्यक्त किये। निदेशक महोदया ने अपने धन्यवाद ज्ञापन में समस्त वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।

उक्त कार्यकम में प्रभाकर नागू डॉ० आनन्द कुमार दीक्षित (शिक्षक) डॉo दीनानाथ राय अरिन्दम चहुर्वैदी विक्म रिह चन्देल, मायरा गुप्ता, विवके विश्वकर्मा, शिया दीक्षित, धनजय राय, पुष्पज्शा राज रीमा चौधरी आदि प्रतिभागियों ने अपनी शत् प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करायी उक्त का्यशाला वेहद उपयोगी एव सफल रही। उक्त कार्यकरम का संचालन राज्य सग्रहालय लखनऊ की सहायक निदेशक डॉ० मीनाक्षी खेमका ने किया। इस अयसर पर डॉ0 कृष्ण ओम सिंह, डॉ अनीता चौरसिया शारदा प्रसाद त्रिपाटी, श्री प्रमोद कुमार सिंह अनुपमा सिंह शशिकला राय, गायत्री गुप्ता एवं पुरातत्व विभाग के बलिहारी सेठ, प्रदीप सिंह आदि कार्यक्रम में उपसिथित रहे।

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