शिवपाल यादव के बाद आजम के समर्थक ने अखिलेश को दिखाए बगावती तेवर

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लखनऊ। समाजवादी पार्टी में विधानसभा चुनाव हारने के बाद सब कुछ ठीक नहीं है। अभी तक शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश से नाराज चल रहे थे। अब इसमें एक बड़ा नाम आजम खान का भी शामिल हो गया है। उनके एक समर्थक ने सपा मुखिया को कटघरे में खड़ा किया है। हलांकि अभी तक आजम के परिवार से ऐसी कोई बात सुनने को नहीं मिली है। दरअसल आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खां बागी हो गए हैं। उन्होंने सपा मुखिया अखिलेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि आजम खां ने सपा पार्टी को बनाया है। मुलायम सिंह को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया था। जब अखिलेश कन्नौज से सांसद बने थे तब आजम ने कहा था कि टीपू को सुल्तान बना दें। एक मुश्त सपा को वोट दिया। लेकिन आज उनके हमारे कपड़ों से बदबू आती है। ढाई साल से आजम जेल में है। महज एक बार अखिलेश यादव मिलने गये हैं। दरी अब्दुल बिछाएगा, लाठी अब्दुल खाएगा। जेल भी अब्दुल जाएगा। सारे जुल्म अब्दुल पर होंगे। लेकिन अखिलेश हमारा नाम भी नहीं लेंगे। हमारी आजम खान से अभी कोई बात नहीं हुई है। जब वह जेल से बाहर आएंगे तो वह सबसे पहले उनसे कोई फैसला लेने की बात करेंगे। विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कोई हक नहीं दिया गया है। हमने नेता प्रतिपक्ष की मांग भी पूरी नहीं हुई। अखिलेश ने सारे विधायकों का नाम लिया लेकिन सबसे वरिष्ठ विधायक आजम खान का नाम नहीं लिया। इस मुद्दे पर मैं आजम खान साहब के बेटे अब्दुल्ला से कई बार बात कर चुका हूं। यह आम कार्यकर्ताओं की आवाज है।

इसके पहले संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क बर्क भी सपा के खिलाफ बगावती बयान दे चुके हैं। डॉ. शफीकुर्रहमान से मीडिया ने पूछा, भाजपा सरकार मुसलमानों के हित में काम कर रही है या नहीं? इस पर उन्होंने जवाब कि भाजपा के कार्यों से वह संतुष्ट नहीं हैं। भाजपा सरकार मुसलमानों के हित में काम नहीं कर रही है। शफीकर्रहमान यहीं नहीं रूके। आगे उन्होंने कहा, भाजपा को छोड़िए समाजवादी पार्टी ही मुसलमानों के हितों में काम नहीं कर रही है।

ज्ञात हो कि आजम साल 1980 से ही रामपुर सीट से जीत रहे हैं। हालांकि, उन्हें एक बार 1996 में कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। पत्नी तजीन फातिमा पूर्व विधायक और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। वहीं, बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने रामपुर में स्वार सीट से चुनाव जीता है। साल 2019 में जब आजम ने रामपुर लोकसभा सीट जीतने के बाद रामपुर सीट छोड़ दी थी। उस दौरान फातिमा ने यहां से जीत दर्ज की। जबकि, 22 मार्च को आजम खान ने विधानसभा सीट बचाने के लिए रामपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। उसी दिन अखिलेश ने भी करहल सीट बचाने के लिए आजमगढ़ लोकसभा सीट छोड़ी थी।

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