विवेक शाही
प्रदीप सरकार द्वारा निर्देशित हेलीकाप्टर ईला गुजराती नाटक ‘बेटा, कागड़ो’ पर आधारित। फिल्म में काजोल मुख्य किरदार में हैं। उनके साथ रिद्धि सेन, नेहा धूपिया और तोता रॉय चौधरी भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। कहानी काजोल के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक बेटे की सिंगल मदर है। सिंगल मदर काजोल अपनी पढ़ाई पूरी करके म्यूजिक में करियर बनाना चाहती हैं। फिल्म का पहला भाग इला की कहानी कहता है, जब वह छोटी थी, अच्छा गाया और विवान के पिता से प्यार हो गया। फिल्म में 90 के दशक के गानों का भी बखूबी इस्तेमाल किया गया है।
फिल्म देखकर आप भी पुरानी यादों में खो सकते हैं। शान, इला अरुण, बाबा सहगल, अनु मलिक और महेश भट्ट भी फिल्म का हिस्सा हैं। पहले हाफ में फिल्म धीरे-धीरे आगे बढ़ती है लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ लेती है। मां-बेटे की लड़ाई इस कदर बढ़ जाती है कि ब्रेकिंग प्वाइंट पहुंच जाता है। यह देखने के लिए मुझे बांधे रखता है। फिर भी कहना पड़ेगा कि फिल्म में सिंगल मदर की जिंदगी को बहुत ही सरल तरीके से दिखाया गया है जो फिल्म को कमजोर साबित करती है।
क्लाइमेक्स में भी समझ नहीं आता कि इला अपनी रोजी-रोटी के लिए क्या करती है। काजोल की अदाकारी हर फ्रेम के साथ उभरती नजर आई है। जिस तरह से उन्होंने अपने बच्चे के लिए प्यार और समर्पण दिखाया है वह काबिले तारीफ है।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता रिद्धि सेन ने भी विवान की भूमिका में एक स्वाभाविक प्रदर्शन दिया है। नेहा ने भी हाल ही में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। फिल्म में प्रदीप सरकार का निर्देशन काफी खराब है। आनंद गांधी और मितेश शाह द्वारा लिखित और पटकथा अच्छी है। फिल्म का संगीत भी कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ता है। इस फिल्म में काजोल की अदाकारी के लिए जरूर देखा जा सकता है.
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