वैक्सीनेशन से जुडी कुछ अहम् बातें ,5 प्रश्नों से जानिए सावधान रहना क्यों जरूरी?

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कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए भारत में भी वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से लेकर हर विशेषज्ञ उम्मीद कर रहा है कि वैक्सीन से कोरोनावायरस को रोकने और खत्म करने में मदद मिलेगी। लेकिन, विशेषज्ञ यह भी कह रहे हैं कि वैक्सीन कोई जादुई बूटी नहीं है, जिसके आने भर से कोरोनावायरस खत्म हो जाएगा। अभी और सावधानी बरतने की जरूरत है। तभी कोरोनावायरस को पूरी तरह से रोका जा सकेगा। आइए जानते हैं कि वैक्सीनेशन से कोरोना को हराने में किस तरह मदद मिलेगी?

अभी प्रायोरिटी ग्रुप्स को ही वैक्सीन लग रही है, इससे क्या होगा?

  • सरकार ने पहले फेज में 3 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट करने की योजना बनाई है। इनमें हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल हैं। इसके बाद 27 करोड़ ऐसे लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा, जिनकी उम्र 50 वर्ष है या जिन्हें कोरोना का खतरा सबसे ज्यादा है।
  • इसका मतलब यह है कि अगस्त 2021 तक तीस करोड़ लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा, जिन्हें कोरोना इंफेक्शन होने का खतरा सबसे ज्यादा है। इनसे वायरस इंफेक्शन फैलने और मौतों का डर भी तुलनात्मक रूप से ज्यादा है। इसी वजह से इन्हें पहले चुना गया है।
  • जब तीस करोड़ लोगों को वैक्सीनेट किया जाएगा तो देश की तकरीबन 20% आबादी कोरोना के खिलाफ प्रोटेक्शन हासिल कर लेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि उस आबादी को प्रोटेक्शन मिलेगा, जिन्हें कोरोना से सबसे ज्यादा खतरा है। इससे कहीं न कहीं कोरोना को फैलने से रोकने और मृत्यु दर कम करने में मदद मिलेगी।

वैक्सीन का असर कितने दिन रहेगा?

  • इस समय इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। अभी वैक्सीन बने ही ज्यादा समय नहीं हुआ है। अच्छी बात यह है कि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में हुई स्टडी में पता चला कि जिन लोगों को कोरोना इंफेक्शन हुआ था, उनके शरीर में आठ महीने बाद भी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली है।
  • इससे विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह वैक्सीन एक साल तक प्रोटेक्शन देने में कामयाब रहेगी। यह वैक्सीन कंपनियों के लिए भी अच्छी खबर है। अलग-अलग कंपनियों ने अपनी वैक्सीन को लेकर एक साल तक कोरोना से प्रोटेक्शन देने का दावा किया है। इसमें भारत में इस्तेमाल हो रही कोवैक्सिन भी शामिल है।

क्या वैक्सीनेशन से हर्ड इम्युनिटी बनने में मदद मिलेगी?

  • हां। कोरोना वैक्सीन का उद्देश्य ही हर्ड इम्युनिटी है। कोरोनावायरस जब से आया है, तब से हर्ड इम्युनिटी की बात की जा रही है। इसका मतलब होता है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों में कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हो जाना।
  • यह दो तरह से होती है। पहला, अगर आप कोरोना से इंफेक्ट हुए हों और प्राकृतिक तरीके से आपके शरीर में इसके खिलाफ इम्युनिटी बन गई हो। दूसरा, वैक्सीन के जरिए आपके शरीर में वायरस के खिलाफ इम्युनिटी बनी हो।
  • जिनके शरीर में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी होगी, उनके लिए वायरस जानलेवा नहीं रह जाएगा। सर्दी-जुकाम के आम वायरस की तरह रह जाएगा। इससे ही कोरोना को रोका जा सकता है।
  • पर, यह हर्ड इम्युनिटी कब बनेगी, कहना मुश्किल है। पूरी दुनिया में इस संबंध में फिलहाल स्टडी हो रही है। विशेषज्ञों को लग रहा है कि आबादी के कम से कम 60% लोगों को वैक्सीन लगने पर हर्ड इम्युनिटी बनने की संभावना बढ़ जाएगी।

सबको वैक्सीन लगने से क्या कोरोना खत्म हो जाएगा?

  • हां। अब तक वैक्सीन को लेकर जो भी ट्रायल्स हुए हैं, उनमें किसी भी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस 100% नहीं रही है। यानी 100% गारंटी कोई नहीं दे सकता कि वैक्सीन लगते ही कोरोनावायरस इन्फेक्शन थम जाएगा। हां, उसकी मारक क्षमता काफी हद तक कमजोर जरूर हो जाएगी।
  • इम्पीरियल कॉलेज ऑफ लंदन के नेशनल हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट की डॉ. फियोना कुली भी कहती है कि वैक्सीन इस महामारी के खिलाफ बड़ी उम्मीद है। पर इसके भरोसे नहीं बैठ सकते। जब तक वायरस पूरी तरह कमजोर नहीं हो जाता या हमारे शरीर में एंटीबॉडी नहीं बन जाती, तब तक हमें सावधानी रखनी होगी।

सबको वैक्सीन कब तक लगेगी और तब तक क्या करना होगा?

  • इस समय वैक्सीन कंपनियों ने वैक्सीन बनाना शुरू किया है। भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने के लिए कम से कम 250 करोड़ डोज लगेंगे। यह अभी तो मिलने वाले नहीं हैं। फिलहाल दो ही वैक्सीन उपलब्ध है। जैसे-जैसे उपलब्ध वैक्सीन की संख्या बढ़ेगी, ज्यादा से ज्यादा लोग वैक्सीनेट होंगे।
  • पूरी आबादी तक वैक्सीन पहुंचने में 2022 का साल भी लग सकता है। और तो और, जून के बाद मार्केट में भी वैक्सीन उपलब्ध होने की चर्चा है। इससे लोग प्राइवेट अस्पतालों में भी वैक्सीन लगवा सकेंगे। इससे हमारे देश में वैक्सीन का कवरेज बढ़ेगा और ज्यादा से ज्यादा लोग कोरोनावायरस के खिलाफ एंटीबॉडी से लैस होंगे।
  • जब तक पूरा देश वैक्सीनेट नहीं हो जाता और हर्ड इम्युनिटी विकसित नहीं होती, तब तक मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन करना होगा। अब तक कोरोना से इसने ही बचाया है और आगे भी यह ही बचाएंगे।

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