नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं. राहुल ने तीन दिनों के इस दौरे के पहले दिन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में अपने संबोधन के दौरान नेता प्रतिपक्ष के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों और भविष्य की योजनाओं पर भी खुलकर बात की.
उन्होंने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मेरी भूमिका भारतीय राजनीति में प्यार, सम्मान और विनम्रता के मूल्यों को बढ़ाना है. मुझे लगता है कि ये भाव मौजूदा समय में हमारी राजनीतिक प्रणाली से गायब है.
राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप मुझसे पूछेंगे कि कि आज से पांच साल बाद क्या मैं खुद को सफल देखता हूं? तो मैं इसे तीन कसौटियों पर खुद को परखूंगा. पहला- क्या मैं भारतीय राजनीति में प्यार के विचार (Idea of love) को लाने में मददगार साबित हो पाया हूं? क्या मैं नेताओं को अधिक विनम्र बना पाया हूं? और क्या मैंने लोगों के भीतर एक-दूसरे के लिए सम्मान की भावना को बढ़ाया है?
देवता, शिव और बुद्ध पर भी की बात
राहुल गांधी ने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में छात्रों को संबोधित करते हुए देवता शब्द के अर्थ पर भी बात की. उन्होंने देवता शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि देवता आखिर कौन होता है? देवता ऐसा शख्स है, जिसकी अंदरूनी भावनाएं ठीक वैसी ही होती हैं, जैसी उसकी बाहरी अभिव्यक्ति. इसका सीधा सा मतलब है कि जो साफ दिल का शख्स है और पूरी तरह से पारदर्शी है. वह देवता है.
राहुल ने कहा कि अगर कोई शख्स मुझे वह सब बता देता है, जो वह सोचता है, उसे खुलेतौर पर जाहिर कर देता है तो वही देवता है. वह असल मायने में देवता है.
राहुल ने कहा कि अगर हम हमारे ऐतिहासिक नायकों को देखें. आपको सब एक्सट्रीम नजर आएंगे. जैसे आप बुद्ध को देखें. वह एक्सट्रीम का प्रतिनिधित्व करते हैं. आप भगवान राम और महात्मा गांधी को देख सकते हैं. दरअसल बेसिक आइडिया पहचान (Identity) के विनाश का है. खुद के अहं को खत्म करने और दूसरों को सुनने का है.
राहुल गांधी ने कहा कि आप शिव के विचार के बारे मे जानते हैं? जब वे कहते हैं कि शिव विनाशक हैं. वह किसका विनाश कर रहे हैं? खुद का. यही विचार है. वह अपने अहं, अपनी संरचना और अपनी मान्यताओं का विनाश कर रहे हैं. इस तरह भारतीय राजनीति का विचार आगे बढ़ना है.
बता दें कि राहुल गांधी अमेरिका के तीन दिनों के दौरे पर हैं. उन्होंने अपनी अमेरिकी यात्रा के पहले दिन आठ सितंबर को डलास में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के छात्रों और शिक्षाविदों से बातचीत की.