नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के सजा माफी के आदेश को सोमवार को रद्द कर दिया।
जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने अपने फैसलेे में कहा,हमारा मानना है कि गुजरात सरकार के पास छूट के लिए आवेदन पर विचार करने या उत्तरदाताओं (दोषियों) को छूट देने का कोई अधिकार नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2002 के गुजरात दंगों की पीड़िता बिलकिस बानो द्वारा सामूहिक बलात्कार और अपने परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषी 11 लोगों की समयपूर्व रिहाई के खिलाफ दायर याचिका सुनवाई योग्य है।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिकाकर्ता (बिलकिस बानो) द्वारा दायर याचिका स्पष्ट रूप से विचार करने योग्य है।
पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां भी शामिल थे, ने कहा कि 15 अगस्त, 2022 को राज्य की छूट नीति के तहत 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं की स्थिरता के सवाल पर फैसला करना शीर्ष अदालत के लिए आवश्यक नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा, हम इस मामले में जनहित याचिकाओं की विचारणीयता के संबंध में उत्तर देना आवश्यक नहीं समझते हैं… इसलिए, छूट के आदेशों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका की विचारणीयता के संबंध में प्रश्न को किसी अन्य उचित मामले में विचार करने के लिए खुला रखा गया है।
अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बिलकिस के दोषियों को जेल जाना होगा।
12 अक्टूबर 2023 को 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषियों को रिहा करने के छूट आदेश की वैधता के सवाल पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत इनकी रिहाई की अनुमति दी थी। दोषियों ने जेल में 15 साल की सजा काटी थी।
