हमारी पृथ्वी का भविष्यविधियों पर मनुष्य को गतिर करेगा निर्भर, ग्लोबल वार्मिग का कारण भी बन रहे लोग

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 भारत  हमने कई साइंस फिक्शन वाली फिल्में देखी हैं, जिनमें आज से कुछ दशक या कुछ सदी बाद की कल्पना की जाती है। ऐसी फिल्मों को देखकर मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि कुछ सौ साल बाद दुनिया कैसी होगी। निश्चित तौर पर इसका ठीक-ठीक जवाब दे पाना किसी के लिए संभव नहीं है। दरअसल, धरती की चाल और मनुष्य व अन्य प्रजातियों की गतिविधियां हमारे ग्रह के भविष्य को निर्धारित करने वाले दो प्रमुख कारक हैं। अमेरिका की बिंघमटन यूनिवर्सिटीके माइकल ए लिटिल और विलियम डी मैकडोनाल्ड ने 500 साल बाद धरती के हालात से जुड़े कुछ सवालों के जवाब दिए हैं।

पिछले 500 साल के इतिहास में देखने को मिले हैं कई नाटकीय बदलाव: पिछले 500 साल में धरती पर जीवन के मामले में नाटकीय बदलाव आया है। मनुष्य की आबादी 50 करोड़ से 750 करोड़ हो गई है। इंसानी गतिविधियों के कारण 800 से ज्यादा पेड़ों व जीवों की प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। आबादी बढ़ने से अन्य जीवों के रहने की जगह कम हुई है। समुद्र का स्तर बढ़ने से स्थल क्षेत्र घटा है और बढ़ता तापमान कई प्रजातियों को अच्छे जलवायु वाले इलाकों की ओर जाने को मजबूर कर रहा है। फिलहाल मनुष्य अपनी गतिविधियों को नियंत्रित कर कुछ बदलावों की गति धीमी कर सकता है। जीवाश्म ईंधन का प्रयोग बंद कर अक्षय ऊर्जा स्रोतों का प्रयोग ऐसा ही कदम है।

इंसान ने बदल दी है दुनिया: मनुष्य की गतिविधियां कई तरह से धरती को बदल रही हैं। लोगों ने शहर बसाने और खेती करने के लिए बड़े-बड़े जंगल काट दिए हैं। कई जंगली जीवों के रहने के ठिकाने खत्म हो गए हैं, जिससे पूरा पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित हुआ है।

पृथ्वी की चाल पर लगी है नजर: पृथ्वी अपनी धुरी पर लगातार घूम रही है, साथ ही एक कक्षा में चलते हुए लगातार सूर्य की परिक्रमा भी कर रही है। असल में भूविज्ञान के हिसाब से देखें तो 500 साल बहुत कम समय है। हजारों साल में धरती के झुकाव और उसकी कक्षा में थोड़ा बदलाव होता है। यह बदलाव सूर्य से इसकी दूरी को प्रभावित करता है, जिससे यहां जीवन खत्म हो सकता है। और वैज्ञानिको को कई सालो से बदलने की उम्मीद नहीं है।

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