पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित वेटरन एक्ट्रेस स्मिता पाटिल का आज जन्मदिन है. 17 अक्टूबर 1955 को एक राजनेता के घर जन्मी स्मिता को हिंदी सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्री माना जाता है। स्मिता ने फीमेल लीड रोल निभाकर हीरोइनों के लिए नई राह शुरू की। स्मिता ने हिंदी के साथ-साथ बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया। महज 10 साल के फिल्मी करियर में स्मिता ने बॉलीवुड को कई यादगार फिल्में दीं। कुछ ही समय में स्मिता ने वह काम कर दिया जिसके लिए उन्हें सदियों तक याद किया जाएगा।
स्मिता पाटिल को बचपन से ही एक्टिंग और ड्रामा का शौक था। मशहूर थिएटर आर्टिस्ट स्मिता ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1975 में मशहूर फिल्ममेकर श्याम बेनेगल की फिल्म ‘चरणदास चोर’ से की थी। 1985 में पद्म श्री पुरस्कार से नवाजी गई यह अभिनेत्री पर्दे पर अपने गंभीर अभिनय के लिए जानी जाती थी, लेकिन स्मिता अपने निजी जीवन में बहुत जीवंत थीं। जैसे ही उन्होंने कैमरे के सामने आकर एक्शन सुना तो वह पूरी तरह से फिल्म के किरदार में लीन हो गईं. ऐसे करिश्माई व्यक्तित्व की मालकिन स्मिता को भी एक ऐसे शख्स से प्यार हो गया जो पहले से शादीशुदा था।
स्मिता पाटिल ने श्याम बेनेगल की फिल्म ‘चरणदास चोर’ से डेब्यू किया था। (फोटो क्रेडिट: _prat/इंस्टाग्राम)
राज बब्बर से उनकी मुलाकात फिल्म ‘भीगी पालके’ की शूटिंग के दौरान हुई थी। मुलाकात प्यार में बदल गई और दोनों ने साथ रहने का फैसला किया। लीक से हटकर फिल्में करने वाली एक्ट्रेस ने अपने निजी जीवन में भी कुछ ऐसे ही फैसले लिए। राज पहले से शादीशुदा था, जब स्मिता का साथ मिला तो वह अपनी पत्नी नादिरा को छोड़कर स्मिता के साथ रहने लगा। स्मिता के इस फैसले से उनके राजनेता पिता और माता भी काफी नाराज थे।
स्मिता पाटिल ने महज 10 साल में कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। (फोटो क्रेडिट: _prat/इंस्टाग्राम)
राज बब्बर और स्मिता के बीच प्यार समय के साथ कम होता गया। मनमुटाव था, दोनों का रिश्ता आसान नहीं था। इसी बीच स्मिता मां बनने वाली थी। उन्हें मां बनने का सुख तो मिला लेकिन बेटे प्रतीक बब्बर को छोड़कर दुनिया चली गई। 13 दिसंबर 1986 वह मनहूस समय था जब हिंदी सिनेमा की इस महान अभिनेत्री ने बहुत ही कम उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो स्मिता पाटिल हमेशा चाहती थीं कि उनकी मौत के बाद उन्हें हनीमून की तरह तैयार किया जाए। स्मिता ने एक बार अपने मेकअप आर्टिस्ट दीपक सावंत से कहा था कि जब मैं मर जाऊं तो मुझे हनीमून की तरह तैयार कर लेना। दीपक ने मीडिया से बात करते हुए दुख जताया था कि ‘मुझे क्या पता था कि मुझे ऐसा काम करना पड़ेगा, जो दुनिया में शायद ही किसी मेकअप आर्टिस्ट ने किया हो। उनकी मौत के बाद मैंने उनकी आखिरी इच्छा पूरी करते हुए सुहागन की तरह स्मिता का मेकअप किया था।
स्मिता पाटिल ने ‘भूमिका’, ‘मंडी’, ‘पृथ्वी’, ‘आखिर क्यों’, ‘आज की आवाज’, ‘चक्र’, ‘मिर्च मसाला’ जैसी फिल्मों में काम कर अपने अभिनय का सिक्का जमाया था। स्मिता पाटिल मेमोरियल अवार्ड हर साल स्मिता पाटिल के नाम पर सिनेमा के क्षेत्र में उनके विशेष योगदान के लिए दिया जाता है।