रूस और भारत का जिगरी यार हैं तो पहली स्टेट विजिट में पुतिन चीन क्यों गए? टेंशन वाली बात

विदेश

बीजिंग : रूस को भारत का जिगरी यार कहा जाता है. वैश्विस स्तर पर जब भी कोई मामला फंसता है, दोनों देश एक-दूसरे का साथ देते हैं. मगर रूस-भारत की दोस्ती के बीच अब चीन की भी एंट्री होने लगी है. यही वजह है कि पांचवीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद व्लादिमीर पुतिन सीधे चीन पहुंचे हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को बीजिंग पहुंचे जहां, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. पुतिन और जिनपिंग की इस मुलाकात पर दुनिया की नजर है, खासकर अमेरिका समेत पश्चिम देश.

दरअसल, फरवरी 2022 में यूक्रेन पर मॉस्को के हमले के बाद से रूस आर्थिक रूप से चीन पर अधिक निर्भर हो गया है और इन परिस्थितियों के बीच ही पुतिन की यह यात्रा हो रही है. पुतिन इस यात्रा में अपने समकक्ष शी चिनफिंग और अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, जिनमें रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला शुरू करने से ठीक पहले 2022 में किए गए ‘असीमित साझेदारी’ वाले समझौते के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर जोर दिया जाएगा. पुतिन की इस चीन यात्रा को अमेरिका नीत पश्चिमी उदारवादी वैश्विक व्यवस्था के खिलाफ दो आधिपत्यवादी सहयोगी देशों के बीच एकजुटता के प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है.

मुलाकात पर दुनिया की नजर
रूस और चीन का साथ आना, अमेरिका समेत पश्चिम के देशों को यह नागवार गुजरेगा. यहां ध्यान देने वाली बात है कि यह व्लादिमीर पुतिन का पांचवां कार्यकाल शुरू होने के बाद उनकी पहली विदेश यात्रा है. यानी रूस किस कदर चीन को तरजीह दे रहा है, उनकी इस यात्रा से ही समझ आ रहा है. पुतिन चाहते तो अपनी पहली यात्रा में भारत या फिर किसी और देश को भी चुन सकते थे, मगर अभी जिस तरह के वैश्विक हालात हैं और यूक्रेन युद्ध से जो स्थितियां उत्पन्न हुई हैं, इस लिहाज से रूस के लिए चीन की यह यात्रा ज्यादा मुफीद है. अब दुनिया की नजर इस बात पर है कि पुतिन और जिनपिंग की इस मुलाकात से क्या होता है.

रूस-चीन की दोस्ती बढ़ रही?
दरअसल, ग्लोबल तौर पर देखा जाए तो चीन ने रूस का बीते कुछ समय से हमेशा साथ दिया है. बीजिंग ने यूक्रेन युद्ध में राजनीतिक रूप से रूस का समर्थन किया है. भले ही चीन सीधे तौर पर रूस को हथियार का निर्यात नहीं कर रहा है, मगर वह रूस के युद्ध के प्रयासों में योगदान के रूप में मशीन कलपुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य वस्तुओं का निर्यात जारी रखे हुए है. चीन ने रूस-यूक्रेन युद्ध में खुद को तटस्थ दिखाने की कोशिश की है, मगर अमेरिका समेत पश्चिम देश जानते हैं कि यह केवल दिखावे तक सीमित है. जब जरूरत होगी तो चीन पुतिन का ही साथ देगा क्योंकि चीन और रूस ने फरवरी 2022 में ‘नो लिमिट्स’ पार्टनरशिप का ऐलान किया था.

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