बजट से नाखुश सपा और कांग्रेस, अखिलेश बोले नाउम्मीदगी का पुलिंदा, कांग्रेस बोली- बजट में न्यायपत्र की छाप

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नई दिल्ली : मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश हो गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे संसद में पेश किया. वित्त मंत्री के रूप में उनका ये लगातार सातवां बजट है. इस बार के बजट में अलग-अलग सेक्टरों के लिए कई ऐलान किए गए हैं. वहीं, बजट पेश किए जाने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मोदी सरकार के बजट को नाउम्मीदी का पुलिंदा बताते हुए शायराना अंदाज में निशाना साधा. उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा- ये बजट भी नाउम्मीदगी का ही पुलिंदा है, शुक्र है इंसान इन हालातों में भी जिंदा है.

वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मोदी सरकार को कॉपी-पेस्ट सरकार करार दिया है. उन्होंने दावा किया है कि 2024-25 के बजट में कांग्रेस की घोषणा पत्र का असर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को कांग्रेस न्यायपत्र 2024 का सहारा लेना पड़ा है. पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पोस्ट में कुछ प्वाइंटर शेयर किए, जिसमें उन्होंने कांग्रेस घोषणा पत्र से चीजें कॉपी किए जाने की बात कही…

  • कांग्रेस के 5 न्याय में सबसे पहला युवा न्याय
    पहली नौकरी पक्की: युवा न्याय के तहत हर डिग्री/ डिप्लोमा होल्डर को एक लाख रुपए के स्टाईपेंड
  • बजट 2024-25 में सिर्फ एक करोड़ युवाओं के लिए इंटर्नशिप का प्रावधान
    इंटर्नशिप के दौरान साठ हजार रुपए का प्रावधान

पवन खेड़ा ने आगे कहा कि मोदी सरकार को आइडिया के लिए कांग्रेस को धन्यवाद देना चाहिए.

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने बजट को ‘कुर्सी बचाओ बजट’ कहा है.

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, “जब से मोदी सरकार आई है, बिहार के साथ सौतेला व्यवहार होता रहा है. स्पेशल पैकेज और स्पेशल स्टेटस देने की बात हो रही थी लेकिन बिहार को झुनझुना पकड़ा दिया गया है. नीतीश कुमार को तुरंत इस पर एक्शन लेना चाहिए और इस सरकार से उनको बाहर आना चाहिए, नहीं तो उनको इस्तीफा देना चाहिए.”

‘केंद्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर…’
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा, “संसद में आज पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों व उपेक्षित बहुजनों के त्रस्त जीवन से मुक्ति हेतु ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला कम बल्कि उन्हें मायूस करने वाला ज्यादा है.”

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