चमोली के तपोवन में रेस्क्यू ऑपरेशन का रविवार को आठवां दिन है। आज यहां NTPC स्थित टनल से 2 और शव बरामद किए गए हैं। तपोवन इलाके में अब तक मिलने वाले शवों की संख्या 40 पहुंच गई है। दो बॉडी बरामद होने के बाद टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया गया है। रेस्क्यू टीम ने कहा कि कि हमें अभी भी टनल में फंसे हुए लोगों के बचा लेने की उम्मीद है। भले ही मुश्किलें कैसी भी हों। इस टनल में अभी करीब 37 वर्कर्स के फंसे होने की आशंका है।
उम्मीद इसलिए कायम
NDRF के कमांडर पीके तिवारी के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि टनल के अंदर कुछ लोग अभी भी जीवित हैं। तिवारी ने कहा कि हम अपने अनुभव के आधार पर अभी भी निराश नहीं हुए हैं। हमें लगता है कि टनल में अभी भी ऑक्सीजन मौजूद है और ऐसे गैप भी जिसमें लोग जिंदा रह सकते हैं। हमारे 100 से ज्यादा साइंटिस्ट लगातार रास्ते तलाशने में लगे हुए हैं और इन पर तुरंत अमल किया जा रहा है।
मुश्किलों में राहत की खबर
एक बड़ी राहत की बात है। ग्लेशियर टूटने से बनी झील से अभी कोई खतरा नहीं है। SDRF के कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने 14 हजार फीट की ऊंचाई पर ऋषिगंगा में बनी इस झील का जायजा लिया। ये झील आपदा के बाद ग्लेशियर के टूटने से बन गई है। एरियल व्यू और सैटेलाइट इमेज आने के बाद आशंका जताई जा रही थी कि झील से अचानक पानी का बहाव हो सकता है और फिर से बाढ़ जैसे हालात हो जाएंगे। नवनीत ने झील के पास से ही एक वीडियो बनाकर जारी किया है। उन्होंने बताया कि झील से पर्याप्त मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है, ऐसे में अब कोई खतरा नहीं है।
.@uttarakhandcops की #SDRF के कमान्डेंट नवनीत भुल्लर 14 हजार फुट की ऊँचाई पर ऋषिगंगा में बनी झील पर पहुंचे और बताया कि झील से काफी अच्छी मात्रा में पानी डिस्चार्ज हो रहा है, इसलिए खतरे की कोई बात नही है।#Chamoli #Tapovan pic.twitter.com/dild9h0m8i
— Ashok Kumar IPS (@Ashokkumarips) February 13, 2021
अभी 166 लोग लापता, सर्च ऑपरेशन तेज
उत्तराखंड पुलिस के मुताबिक, आपदा के बाद कुल 206 लोगों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। इनमें अभी 166 लोगों की तलाश जारी है। ऋषिगंगा, धौलीगंगा और आस-पास की नदियों में लोगों को तलाशने का काम तेज कर दिया है।
ड्रोन और रिमोट सेंसर की मदद भी ली जा रही
रेस्क्यू टीम ने टनल में अंदर के हाल जानने के लिए ड्रोन और रिमोट सेंसिंग उपकरणों की मदद भी ले रही है। इस टनल की लंबाई करीब ढाई किलोमीटर है। इसका ज्यादातर हिस्सा आपदा में आए मलबे से भरा पड़ा है।