नई दिल्ली : समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में जिन 17 सीटों पर गठबंधन सहयोगी कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, वहां पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि ऐसे लड़ें जैसे कि आपकी अपनी पार्टी मैदान में है. अमेठी और रायबरेली की रैलियों में लाल टोपी वालों (सपाइयों) की तगड़ी उपस्थिति दर्शाती है कि उनकी बात का असर हो रहा है.
2017 के विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन भले ही परवान चढ़ने में नाकाम रहा हो, लेकिन अमेठी और रायबरेली की हाई-प्रोफाइल सीटों पर दोनों दलों के कार्यकर्ता जीत सुनिश्चित करने के लिए जमीन पर एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं. अमेठी से कांग्रेस के केएल शर्मा मैदान में हैं तो रायबरेली में राहुल गांधी.
चूंकि, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने राहुल और केएल शर्मा के चुनावी अभियान की कमान संभाल रखी है, इसलिए उनकी हर जनसभा और रैली में कांग्रेस वर्कर्स के साथ सपा के लोकल नेताओं और कार्यकर्ताओं की बड़ी तादाद दिखाई दे रही है.
गौरतलब है कि कई नेताओं ने 2017 में मिली हार के लिए गठबंधन (कांग्रेस-सपा) के कागजों पर ही रह जाने को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन सपा और कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बार मामला अलग है. सपा के रायबरेली जिला प्रमुख वीरेंद्र यादव ने कहा कि “2017 में गठबंधन अंतिम समय में हुआ था. इसलिए हम लोग तैयारी नहीं कर पाए थे. मगर इस बार ‘इंडिया’ ब्लॉक लगातार बैठकें कर रहा था, जिससे दोनों दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय बढ़ा है.”