विवेक अग्निहोत्री के बदले बोल, नेताओं को दे डाली नसीहत

मनोरंजन

‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। विवेक रंजन अग्निहोत्री अपनी बेबाकी से लोगों को हैरान कर देते हैं। वो हर विषय पर मुखरता से बोलने के लिए जाने जाते हैं। राजनीतिक मुद्दा हो या सामाजिक विवेक रंजन अग्निहोत्री अपनी राय रखने में कभी भी पीछे नहीं रहते हैं। ज्यादातर वो अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में आ जाते हैं। एक बार फिर उनके लंबे-चौड़े बयान ने लोगों का ध्यान खींचा है। विवेक रंजन अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर लोकसभा चुनाव को लेकर अपने विचार जाहिर किए हैं। उनका हालिया पोस्ट लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद सामने आया है। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको भी लगेगा कि विवेक रंजन अग्निहोत्री के बोल बदल गए हैं। उन्होंने पूराने हिंदुत्ववादी मुद्दों से यू-टर्न ले लिया है और हिंदूत्वाद पर अपने विचार जाहिर करते हुए नेताओं को नसीहत भी दे दी है। लोग उनके इस पोस्ट अयोध्या में भाजपा की हार से जोड़कर देख रहे हैं।

विवेक रंजन अग्निहोत्री ने अपने लंबे सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ‘हज़ारों सालों से विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों विशेष रूप से एकेश्वरवादी धर्मों ने हिंदू धर्म की समृद्ध और विविध परंपराओं का सामना किया है। आक्रमणों, धर्मांतरण, सामाजिक विघटन, नरसंहार और यहां तक​​कि राष्ट्र के खूनी विभाजन सहित कई खतरों के बावजूद, हिंदू धर्म की उदार, विविध, बहुलतावादी और समावेशी प्रकृति बची हुई है, बरकरार है। हिंदू धर्म ने हमेशा दार्शनिक जांच और स्वतंत्र सोच को महत्व दिया है। इसे अधिक कठोर, कर्मकांडीय प्रणाली में बदलने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं, क्योंकि इसकी बहुलता, खुलेपन और सार्वभौमिक स्वीकृति की परंपराएं गहराई से समाहित हैं। स्वतंत्रता के बाद भी, राजनेताओं ने सत्ता प्राप्ति के अपने स्वार्थी लक्ष्यों के लिए हिंदू धर्म की आत्मा को दार्शनिक जिज्ञासा से बदलकर कर्मकांडीय दृढ़ता में बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने इसे अमूर्त सार्वभौमिकता से बदलकर स्थानीय प्रतीकवाद में बदलने का प्रयास किया है। उन्होंने वोट पाने के लिए हिंदू धर्म के स्वतंत्र विचार वाले मन को नियम-आधारित अधीन मन में बदलने का प्रयास किया है।’
विवेक रंजन अग्निहोत्री आगे लिखते हैं, ‘मेरा मानना ​​है कि हिंदू धर्म ऐसी परिस्थितियों में पनपता है, जहाँ जब इसके समावेशी डीएनए को बदलने या एकरूप राजनीतिक विचारधाराओं को थोपने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। जब व्यक्तियों को अपने भोजन, पोशाक, भाषा, प्रथाओं और जीवन शैली के बारे में व्यक्तिगत विकल्प चुनने की स्वतंत्रता होती है। जब कला, साहित्य, शोध, जांच, रचनात्मकता और मुक्त भाषण को राज्य और समाज द्वारा निवेश के रूप में समर्थन और बढ़ावा दिया जाता है। हिंदू स्वतंत्र विचार और रचनात्मकता को महत्व देते हैं। इस स्वतंत्रता का सम्मान करना और उसे बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अंत में, यदि राजनीतिक नेता सच्ची सफलता चाहते हैं, तो उन्हें हिंदू धर्म की स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए। हिंदू अपनी आध्यात्मिक यात्रा का मार्गदर्शन करने में सक्षम हैं। 2024 एक संदेश है कि राजनीति को अपने निहित स्वार्थों के लिए हिंदू धर्म का शोषण करने से दूर रहना चाहिए। यह एक ऐसी विजय है जिसे आप कभी नहीं जीत सकते। यह किसी की भी ताकत से परे है।’

विवेक रंजन अग्निहोत्री इतने पर ही नहीं रुके उन्होंने हिंदुत्व का इस्तेमाल करने वाले नेताओं को नसीहत दे डाली और कहा, ‘पिछले कुछ दशकों की राजनीति जो 2024 के चुनावों तक पहुंच चुकी है, एक और उदाहरण है जहां हिंदू धर्म पर एकरूपता थोपने की कोशिश की गई है, चाहे वह एक ईश्वर, एक मंदिर, एक पुस्तक या एक ही रीति-रिवाजो के जरिए हो या फिर जीवनशैली के दिशा-निर्देशों के जरिए, चुनाव के नतीजे साबित करते हैं कि इस तरह के एकेश्वरवाद का शांतिपूर्ण तरीकों से प्रतिरोध किया जाता है। धार्मिक राजनीति का नकार हिंदू मूल्यों की मजबूती और अनुकूलनशीलता को दर्शाता है। हिंदू धर्म सत्य की गहन खोज से उभरा है, जिसने इस विचार को अपनाया है कि सत्य असंख्य तरीकों से प्रकट होता है। यही कारण है कि हिंदू धर्म अनेक देवी-देवताओं और धर्मों का सम्मान करता है, जिनमें से प्रत्येक सत्य के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करता है।’

बता दें, विवेक रंजन अग्निहोत्री हाल में ही अपनी फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ लेकर आए थे, जो कॉन्ट्रोवर्सी में घिरी रही और इसे एजेंडा ड्रिवेन फिल्म करार दिया गया। इस फिल्म को वैसे बॉक्स ऑफिस पर पसंद किया गया और यही वजह रही कि फिल्म ने बंपर कमाई की। अब एक्टर अपनी अगली फिल्म की कहानी लिख रहे हैं। जल्द ही वो ‘दिल्ली फाइल्स’ बनाएंगे। आखिरी बार उनकी फिल्म ‘वैक्सीन वॉर’ रिलीज हुई थी।

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